International Research journal of Management Science and Technology

  ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST

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आधुनिक हिन्दी काव्य में नारी चेतना

    1 Author(s):  DR. SUBASH HEMRAJ PAWAR

Vol -  8, Issue- 12 ,         Page(s) : 412 - 417  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST

Abstract

भारतीय नारी स्थिति का यह क्रम प©राणिक युग में अ©र अधिक मुखर ह¨ गया। इस युग में वर्णाश्रम धर्म की प्रतिष्ठा ह¨ने के कारण नारी के अधिकार अ©र भी संकीर्ण ह¨ते गये। “उसके द्वारा पति की आराधना जीवन की ब्रह्म के प्रति आराधना है।“ एक बार विवाहिता ह¨ जाने पर पति ही उसका लक्ष्य, धर्म अ©र आदर्श है। इस काल में रूढ़िवादिता की जड़ें अ©र भी गहरी ह¨ती र्गइं। फलस्वरूप विदेशिय के आगमन से पूर्व ही भारतीय समाज में बाल-विवाह, बहु-विवाह, सती प्रथा, पर्दा प्रथा एवं बाधित वैधव्य आदि कुरीतिय क¨ र पुराणकाल में मुसलमान के आगमन से अ©र अधिक विकसित ह¨ने का अवसर मिला। अ©र अब नारी की प्रगति अ©र स्वतन्त्रता समाप्त ह¨ गई। उसका जीवन परम्परागत अवरुद्ध धाराओं में बहने लगा।

1 भारतेंदु ग्रंथावली भाग 3 प्र. क्र. 836
2 प्रताप नारायण ग्रंथावली . प्रथम खंड यह त¨ बतलाइए . पृष्ठ 374
3 आधुनिक हिंदी काव्य में नारी भावना डॉ. शैलकुमारी गुप्त. पृष्ठ 60, 61
4 मिलन. रामनरेश त्रिपाठी. प्. 17
5 आधुनिक हिंदी कविता में नारी भावना  पृष्ठ 57
6 प्रसाद के नारी चरित्र . डॉ. देवेश ठाकुर पृष्ठ 168
7 स्त्रिय¨ं का कार्यक्षेत्र . श्री दीनदयाल श्रीवास्तव पृष्ठ 157
8 चांद, कवितारू बहिन¨ं से अंक मई. 1925
9 श्रृंखला की कड़ियां . महादेवी वर्मा, 143
10 मैथिलीशरण गुप्त के काव्य में नारी चेतना .डॉ. कृष्णा कुमारी 130. 149

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