International Research journal of Management Science and Technology
ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST
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उच्च माध्यमिक स्तर के अन्तर्मुखी व बहिर्मुखी विद्यार्थियों की
1 Author(s): MADAN MOHAN UNIYAL
Vol - 6, Issue- 12 , Page(s) : 76 - 79 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
हम 21 वीं सदी में पहुँच चुके हैं जिसमें बदलाव की हवा इतनी तीव्र है कि सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनैतिक आदि मूल्य उड़कट गायब होते नजर आ रहे हैं। तकनीकि प्रगति ने हमें इतना आधुनिक बना दिया है कि हम सिर्फ मशीन बनकर रह गये हैं। शिक्षा जो हमें मुल्य सिखाती है उसका भी बाजारीकरण हो गया है। बाजारीकरण का मुख्यतः कारण है कम्पनीकरण इससे शिक्षाकी बुनियाद व्यवारिक जगत के निर्धारित उद्देश्यों जरुरतों मानवीय संसाधनों आदि के अनुरुप सफलता हासिल करने वाली बनते जा रही है। कहने का आश्य यह है कि शिक्षा पूँजीपतियों के हाथ की कठपुतली बनकर रह गई है। आज जब विश्व भूमण्डलीकरण निजीकरण उदासीकरण और हिंसा एंव अशान्ती से जूझ रहा है जिससे समाज में असिष्णुता, कट्टटरवाद और विवाद का बोलबाला हो गया है ऐसे में हमें भारतीय संस्कृति में किसी भी धार्मिक, अध्यात्मिक विचारों के पोषक मनीषियों का चिंतन, मनन करना होगा। जो शांति ही आनंद को बुलाने का रास्ता अग्रसर करेंगे।