International Research journal of Management Science and Technology
ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST
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विज्ञान और धर्म के समन्वय से विकास संभव एक समीक्षात्मक अध्ययन
1 Author(s): DR. DILIP KUMAR JHA
Vol - 13, Issue- 4 , Page(s) : 18 - 26 (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
धर्म का एक विज्ञान है और उसी प्रकार से विज्ञान का एक धर्म होता है। विज्ञान अपने धर्म को भूलेगा तो मानवता का विकास और उत्थान कम, विनाश ज्यादा होगा। उसी प्रकार से धर्म यदि अपने विज्ञान को भूलेगा तब धर्म कर्मकाण्ड में ही उलझ कर रह जायेगा। वास्तव में विज्ञान और धर्म एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों सत्य के खोजी हैं। फर्क इतना है कि विज्ञान का धर्म आधिभौतिक है, और धर्म का सत्य आधिदैविक और आध्यात्म से संबंधित है। विज्ञान के साथ यदि विवके नहीं होगा तो इससे विकास कम विनाश ज्यादा होगा। विज्ञान गति देता है पर धर्म दिशा देता है। विज्ञान चरण देता है लेकिन धर्म दृष्टि देता है ताकि चरण को दिशा मिले वरना आदमी भटक जायेगा। विज्ञान के द्वारा विकास हो, आवश्यक है लेकिन उसके साथ आध्यात्मदृष्टि भी हो, बहुत आवश्यक है। इसलिए विज्ञान अपने धर्म और धर्म अपने विज्ञान को समझे।